(1). कामाख्या मंदिर
भारत के राज्य असम में गुवाहाटी के पास स्थित एक कामाख्या देवी मंदिर है देश के 52 शक्तिपीठों में से एक सबसे प्रसिद्ध मंदिर है, लेकिन इस मंदिर की अनोखी बात यह है कि इसमें देवी सती या माँ दुर्गा की एक भी मूर्ति नहीं है |
पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि इस जगह देवी सती की योनि गिरी थी जो समय के साथ महान शक्ति साधना का केंद्र बनी इस मंदिर में अनेक प्रकार के तंत्र मंत्र तांत्रिक सिद्धियां होती रहती है, कहा जाता है कि इस मंदिर में जो भी कामना मांगी जाती है वह कामना पूरी होती है, इसी कारण इस मंदिर को कामाख्या कहा जाता है |
यह मंदिर तीन हिस्सों में बनाया गया है पहला हिस्सा सबसे बड़ा है जहां पर हर किसी को जाने की अनुमति नहीं है, मंदिर के दूसरे हिस्से में माता जी के दर्शन होते हैं जहां एक पत्थर से हर समय पानी निकलता रहता है कहा जाता है कि महीने में एक बार इस पत्थर से खून की धारा बहती है इस रहस्य के बारे में आज तक किसी को पता नहीं कि ऐसा क्यों होता है और कैसे होता है यह आज तक किसी को ज्ञात नहीं है?
(2). करणी माता मंदिर
इस मंदिर के अनेकों नाम है इस मंदिर को चूहे वाली माता का मंदिर भी बुलाया जाता है, चूहों वाला मंदिर भी कहा जाता है, मूषक मंदिर भी कहा जाता है|
यह मंदिर राजस्थान के बीकानेर से 30 किलोमीटर दूर देशनोक शहर में स्थित है इस मंदिर की अधिष्ठात्री देवी करणी माता है, करणी माता की छत्रछाया में चूहों का काफी साम्राज्य स्थापित है|
मंदिर में ज्यादातर काले चूहें हैं और कुछ सफेद चूहे भी है जो काफी दुर्लभ है मान्यता है कि अगर सफेद चूहा दिख जाता है तो उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है|
आश्चर्यजनक बात यह है कि यह चूहे मंदिर में किसी को भी नुकसान नहीं पहुंचाते हैं और मंदिर परिसर में दौड़ते भागते खेलते रहते हैं इस मंदिर में चूहे यह इतनी संख्या में है कि आप पाँव उठाकर मंदिर में चल भी नहीं सकते हैं आपको पांव घिसट घिसट कर चलना पड़ता है, लेकिन यह चूहे मंदिर के बाहर कभी नहीं जाते हैं|
(3). ज्वालामुखी मंदिर
ज्वालामुखी मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है| ज्वाला देवी का यह प्रसिद्ध मंदिर हिमाचल प्रदेश के काली धार पहाड़ी के मध्य में स्थित है, यह भारत का एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ मंदिर है| इस मंदिर में माता सती की जीव गिरी थी, माता सती की जीत के प्रतीक के रूप में यहां धरती के गर्भ से लपलपाती ज्वाला निकलती है|
यह ज्वाला नौ रंग की होती है यह नवरंग की ज्वाला नौ माताओं के रूप में मानी जाती है
यह नवरंग की ज्वाला की देवियों के नाम है, यह देवियां है महाकाली, अन्नपूर्णा, चंडी, हिंगलाज, विंध्यवासिनी, महालक्ष्मी, मां सरस्वती, मां अंबिका और अंजी देवी |
किसी को आज तक यह पता नहीं चला कि यह ज्वाला कहां से आ रही है यह रंग कैसे बदल रही है| आज भी लोगों को यह पता नहीं चल पाया कि यह ज्वाला जलती कैसे हैं और यह कब तक चलती रहेगी कहा जाता है कि कुछ मुगल शासकों ने इस ज्वाला को बुझाने के लिए नदी का पानी ऊपर से निकाल दिया था लेकिन यह ज्वाला फिर भी जलती रही और उनके सारे प्रयास विफल रहे|
(4). काल भैरव मंदिर
मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित भगवान कालभैरव का एक प्राचीन मंदिर है|
परंपरा के अनुसार श्रद्धालु यहां पर सिर्फ प्रसाद के तौर पर केवल शराब ही उन्हें चढ़ाते हैं, आश्चर्य की बात तो यह है कि जब शराब का प्याला भगवान काल भैरव की प्रतिमा के मुख से लगाया जाता है तब एक पल में खाली हो जाता है आज तक भक्त गण एवं पुजारी यह बात का पता नहीं लगा पाए है कि प्याला खाली कैसा हो जाता है, कहा जाता है कि भगवान कालभैरव वह प्याला पी जाते हैं |
(5). मेहंदीपुर का बालाजी मंदिर
भगवान हनुमान जी का सबसे प्रमुख भारत में मंदिर बालाजी धाम मंदिर है, यह मेहंदीपुर बालाजी मंदिर राजस्थान के दौसा जिले में स्थित है| भगवान हनुमान के 10 प्रमुख शक्तिपीठों में से यह मंदिर गिना जाता है|
इस स्थान पर हनुमान जी जागृत अवस्था में विराजते हैं इस मंदिर में काफी श्रद्धालु भक्तगण आते हैं, लेकिन इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि अगर किसी व्यक्ति के ऊपर भूत प्रेत एवं बुरी आत्माओं का बास होता है तो वह इस मंदिर में आते ही चीखने चिल्लाने लगते हैं और भागने लगते हैं, भगवान बालाजी की शरण में आते ही बुरी आत्मा, भूत पिशाच आदि शक्तियां पीड़ित के शरीर से बाहर निकल जाती है |
ऐसा कैसे होता है यह आज तक कोई नहीं जान पाया लोग सदियों से कई वर्षो से भूत प्रेत और बुरी आत्मा से मुक्ति पाने के लिए भारत में अनेक अनेक जगह से इस मंदिर में आते है, इस मंदिर में रात में रुकना मना है|
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